गिरीश कार्नाड वाक्य
उच्चारण: [ gairish kaarenaad ]
उदाहरण वाक्य
- गिरीश कार्नाड का लिखा रक्त कल्याण में अभिनय किया।
- गिरीश कार्नाड का यह आख्यान इतिहास की खिड़की से वर्तमान के अनुत्तरित सवालों के जवाब ढूंढने की एक कोशिश है।
- गिरीश कार्नाड कि यही चिंता हमें दक्षिण भारतीय कथानक पर आधारित इस नाटक को बिहार में बार-बार मंचित करने के लिए प्रेरित करती हैं।
- 1989 में गिरीश कार्नाड ने यह नाटक कन्नड़ भाषा में तब लिखा, जब भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में मंडल और मंदिर के प्रश्न ज्वलंत थे।
- 1989 में गिरीश कार्नाड ने यह नाटक कन्नड़ भाषा में तब लिखा, जब भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में मंडल और मंदिर के प्रश्न ज्वलंत थे।
- 15 अगस्त, 1993 को आयोध्या में सरयू नदी के तट पर ‘ मुक्तनाद ' कार्यक्रम के दौरान एक इंटरव्यू में गिरीश कार्नाड ने यह बातें कही थीं।
- इस बार भानु भारती अक्तूबर के आखिरी दिनों में फिरोजशाह कोटला में एक बार फिर से एक दूसरे मह्त्त्पूर्ण नाटक को निर्देशित कर रहे हैं और वह है गिरीश कार्नाड का लिखा ` तुगलक।
- गिरीश कार्नाड का ` तुगलक ' एक ऐसे बादशाह को सामने लाता है जो एक तरह भीतर से बेहद निर्दोष और इंसाफ पसंद है, हिंदू और मुसलमान मे राजनैतिक तौर पर भेदभाव नहीं करता लेकिन राजनैतिक चालें चलने में निपुण है।
- गिरीश कार्नाड लिखित हयबदन नाटक की समीक्षा में संजय ने स्त्री-पुरुष संबंधों को जो नाटक में इंगित और वर्णित था, उसकी एक नई व्याख्या, एक नया भाष्य भाखते हुए, उसे रेखांकित करते हुए कुछ दृष्टिगत बातें गौरतलब कराई थीं।
- सन् 1972 में पुनः तीन नए नाटक प्रस्तुत किए गए-‘ कहत कबीरा ' (लेखन एवं निर्देशन: शिवकुमार जोशी), ‘ हय बदन ' (गिरीश कार्नाड निर्देशन: राजेन्द्रनाथ) तथा ‘ चटनी टमाटर की ' (गणेश बागचीय निर्देशन: शिवकुमार झुनझुनवाला) ।
अधिक: आगे